रूप का प्रभाव

सीता को रिझाने के लिये रावण के सारे प्रयास असफल होने पर मंत्रियों ने सलाह दी – आपको तो बहुरूपणी विद्या आती है, आप राम का रूप रखकर सीता को अपने महल में ले आओ ।
रावण – राम का रूप रखा था, पर जैसे ही मैं राम का रूप रखता हूँ, मेरे भाव ही बदल जाते हैं ।

( प्रो. जया )

नकली रूप रखने से भावों में इतना परिवर्तन ! तो असली रूप वालों के कैसे भाव होते होंगे !

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One Response

  1. I think this is a very nice anecdote to inspire one to follow the path of Jina i.e. of complete detachment and deeksha.

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