सन् 89 में एक दूसरे संघ के मुनि हमारे संघ में रहे थे।
वे छोटे/बड़े सब मुनियों के रोज़ पैर छूते थे।
कारण ?
मुनि तो अपने बुखार आने पर बतायेंगे नहीं, इस बहाने से विनय के साथ-साथ स्पर्श भी हो जाता है।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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विनय का तात्पर्य पूज्य पुरुषों का आदर करना अथवा रत्नत्रय धारक वालों के प़ति नम़ता धारण होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि मुनियों में भी आपस में नम़ता करना होता है मुनि बुखार के समय भी बताते नहीं है ,इस बहाने से विनय के साथ स्पर्श भी हो जाता है। अतः जीवन में पूज्य पुरुषों एवं गुरुओं के प़ति नम़ता रखना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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विनय का तात्पर्य पूज्य पुरुषों का आदर करना अथवा रत्नत्रय धारक वालों के प़ति नम़ता धारण होता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि मुनियों में भी आपस में नम़ता करना होता है मुनि बुखार के समय भी बताते नहीं है ,इस बहाने से विनय के साथ स्पर्श भी हो जाता है। अतः जीवन में पूज्य पुरुषों एवं गुरुओं के प़ति नम़ता रखना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।