विसंयोजना
अनंतानुबंधी को सत्ता से समाप्त करना विसंयोजना है ।
उपशम तथा क्षयोपशम सम्यग्दृष्टि के भी अनंतानुबंधी उदय में तो नहीं, पर सत्ता* में रहती है ।
आर्यिका श्री विज्ञानमति माताजी
क्षायिक-सम्यग्दर्शन में अनंतानुबंधी हमेशा के लिये समाप्त हो जाती है, *अन्य के वापस संयोजना करके आ जाती है ।
चारों गतियों में विसंयोजना होती है ।
पं. श्री रतनलाल बैनाड़ा जी
8 Responses
अनंतानुबंधी को सत्ता से समाप्त करना विसंयोजना है ya uday se samapt karna kyunki yeh to upsham aur kshayopasham samyagdarshan wala bhi karta hai,na?
प्रश्न अच्छा व सही है, पर कहा इस अपेक्षा से होगा कि विसंयोजना के बाद फिर से संयोजना हो जाय तो विसंयोजना effective नहीं रही ।
विसंयोजना का मतलब अन्तानुबंधी क़ोध मान माया व लोभ को अन्य प़कृति रुप अर्थात अप़त्याखान आदि बारह कषाय और हास्य आदि नो कषाय रुप से परिवार्तित करना होता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि अनंतानुबंधी को सत्ता से समाप्त करना विसंय़ोजना है।उपशम तथा क्षयोपशम सम्यग्द्वष्टि के भी अनंतानुबंधी उदय से तो नहीं,पर सत्ता में रहती है। जबकि क्षाथिक सम्यग्दर्शन में हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है, अन्य के वापिस संयोजना करके आ सकती है। चारों गतियों में विसंयोजना होती है।
Okay.
दस कारणों में उदय, सत्ता, उपशम का अलग स्वरूप है। अनंतानुबंधी का अन्य प्रकृति रूप संक्रमण हो जाता है। लेकिन उसे संक्रमण में गर्भित नहीं किया। anantanubandhi का उस समय उपशम हो जाता है और दसवें गुण स्थान पर नाश होता है।
पहली बार सक्रिय भाग लेने के धन्यवाद व स्वागत ।
दो minor spelling correction किये हैं (high lighted)
1) सही कहा कि क्रिया तो संक्रमण जैसी पर नाम विसंयोजना दिया क्योंकि संक्रमण तो irreversible होता है जबकि उपशम व क्षयोपशम स.दर्शन में वापस संयोजना हो जाती है ।
2) अनंतानुबंधी का उपशम नहीं होता, सत्ता से समाप्ति होती है, क्षायिक-सम्यग्दर्शन में permanent अन्य दोनों में temporary.
3) अनंतानुबंधी का क्षय तो 4थे गुणस्थान से 7वें तक में बताया गया है, 10वें गुणस्थान तक तो संज्वलन बचती है ।
क्या यह मन्द कषाय रूप भाव है जिसमें तत्व विचार हो सकता है?
सही, मंद कषाय में ही विसंयोजना/ तत्व चिंतन हो सकता है।