वक़्त

हर ख़ुशी है लोगों के दामन में,
पर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं |

सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं |

सारे नाम मोबाइल में हैं,
पर दोस्ती के लिये वक़्त नहीं |

आखों में है नींद भरी,
पर सोने का वक़्त नहीं |

पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े,
कि थकने का भी वक़्त नहीं |

तू ही बता ऐ ज़िन्दगी,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा |
कि हर पल मरने वालों को,
जीने के लिये भी वक़्त नहीं |

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