संगति

चलो बहाव में नदियों के,
ताकि वे मंज़िल तक पहुँचा दें;
लेकिन बहक न जाना बहाव में, इन हवाओं के,
कि वे अपने लक्ष्य से भटका दें ।

(अभिषेक-शिवपुरी)

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2 Responses

  1. यह कथन बिलकुल सत्य है… कि संगति भी नदी के बहाव की तरह है, जिससे बहाव को रास्ता मिलता रहता है;
    उसी प्रकार, अच्छी संगति से भटकने से बच सकते हैं एवम् कल्याण होगा ।

  2. आद्रता के लिए कथन बिलकुल सही है… समय रेत की तरह फिसलता है ।आद्रता होने के कारण, शीघ्र फिलसता नहीं है ।
    इसी प्रकार, विनम्र बनने पर जीवन का कल्याण होगा ।

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