संतोष
संतोष में पीड़ा की समाप्ति, असंतोष में पीड़ा की निरंतरता रहती है ।
मुनि श्री कुंथुसागर जी
संतोष में पीड़ा की समाप्ति, असंतोष में पीड़ा की निरंतरता रहती है ।
मुनि श्री कुंथुसागर जी
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Suresh Chandra Jain
Satisfaction always finishes your peeda of mind.