संवेग/वैराग्य वाले की स्मरण शक्ति तेज होती है, उसे सब पुराना दिखता है/पुराने failure याद रहते हैं।
(भगवान की वाणी पर विश्वास पक्का होता है)
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संवेग का तात्पर्य दुखमय संसार में धर्म में लगा रहना है।
वैराग्य का तात्पर्य मोक्ष मार्ग पर चलना होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि संवेग और वैराग्य वाले की स्मरण शक्ति तेज होती है, उसे भगवान् की वाणी पर विश्वास पक्का होता है।
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संवेग का तात्पर्य दुखमय संसार में धर्म में लगा रहना है।
वैराग्य का तात्पर्य मोक्ष मार्ग पर चलना होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि संवेग और वैराग्य वाले की स्मरण शक्ति तेज होती है, उसे भगवान् की वाणी पर विश्वास पक्का होता है।