आज व्यसन नहीं कर रहे हो, ठीक है ।
पर क्या छोड़ने का संकल्प लिया ?
सावधान रहने का बार बार चिंतन किया ?
भविष्य में कभी न करूँ, ऐसे भाव बनाये ?
जो ऐसा करते हैं वे जीव चाहे शेर की पर्याय में चले जायें, वहाँ भी मांसाहार छोड़कर जीवन सफल बना लेते हैं ।
मुनि श्री अविचलसागर जी
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संस्कार का मतलब जीवन को अच्छाईयां और मर्यादा में रहना सिखाता है, ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जो लोग व्यसन नहीं करते हैं लेकिन छोड़ने का संकल्प या नियम नहीं लेते हैं,उनको सावधान रहने और चिंतन की बहुत आवश्यकता है क्योंकि इससे भाव, भविष्य में खराब न हो सकें।
अतः जीवन में कभी भाव खराब न हो सकें इसके लिए संकल्प और नियम लेना परम आवश्यक है। जब कोई मांसाहार का नियम लेता है तो अगले पर्याय में भी अपने जीवन का कल्याण करने में समर्थ रह सकता है।
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संस्कार का मतलब जीवन को अच्छाईयां और मर्यादा में रहना सिखाता है, ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि जो लोग व्यसन नहीं करते हैं लेकिन छोड़ने का संकल्प या नियम नहीं लेते हैं,उनको सावधान रहने और चिंतन की बहुत आवश्यकता है क्योंकि इससे भाव, भविष्य में खराब न हो सकें।
अतः जीवन में कभी भाव खराब न हो सकें इसके लिए संकल्प और नियम लेना परम आवश्यक है। जब कोई मांसाहार का नियम लेता है तो अगले पर्याय में भी अपने जीवन का कल्याण करने में समर्थ रह सकता है।