सम्बंध
सम्बंध शौक नहीं, मजबूरी है, संसारी जीवों के लिये ।
जब मजबूरी है तो झुककर निभाओ भी ।
सम्बंध जब टूटते हैं तो बैर बन जाते हैं ।
सम्बंध न बनें तो रोना, बन जाय तो रोना ।
मुनि श्री सुधासागर जी
सम्बंध शौक नहीं, मजबूरी है, संसारी जीवों के लिये ।
जब मजबूरी है तो झुककर निभाओ भी ।
सम्बंध जब टूटते हैं तो बैर बन जाते हैं ।
सम्बंध न बनें तो रोना, बन जाय तो रोना ।
मुनि श्री सुधासागर जी
4 Responses
सम्बंध का तात्पर्य जीवन में एक दुसरे से जुड़ाव होना अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सम्बंध शौक नहीं बल्कि मज़बूरी है,यह सिर्फ संसारी जीवों के लिए होता है। अतः जब मज़बूरी है तो उसको झुककर निभाना आवश्यक है। जब सम्बंध टूटते हैं तो बैर हो जाता है। इसलिए कहा जाता है कि सम्बंध न बने तो रोना एवं बन जाते हैं तब भी रोना होता है। अतः जीवन में सम्बंध रखना है तो आत्मीयता होना परम आवश्यक है ताकि जीवन में रोना न पड़े।
Sambandh ban jaye to rona kyun?
सम्बंध होने पर राग,
और
राग तो रुलायेगा ही।
शादी न हो तो रोना, हो जाय तो रोना।
Okay.