सातवाँ गुणस्थान

कहते हैं – मुनि आहार करते हुए भी आहार नहीं करते, सो कैसे ?
सातवें गुणस्थान में स्थित मुनिराज आहार करेंगे या अपनी और दूसरे जीवों की रक्षा का भाव रखेंगे, ऐसे भावों में प्रधानता आहार की होगी या जीव रक्षा की ?

चिंतन

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