सम्यग्दर्शन व सम्यग्ज्ञान का फल चारित्र है । सम्यग्दर्शन व सम्यग्ज्ञान सरागावस्था में अकषाय भाव से सातिशय पुण्य का बंध करता है । यह सातिशय पुण्य मोक्ष का कारण होता है, संसार का कारण नहीं, यदि निदान कर लिया तो मोक्ष का कारण नहीं होगा ।
पं. रतनचंद्रजैन – व्य.कृ.पेज 587
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