साधु
भगवान ने कहा – संयम/ त्याग/ ब्रह्मचर्य में आनंद है । सामान्य गृहस्थ को विश्वास नहीं होता ।
साधुओं ने पूरा संयम/ ब्रह्मचर्य करके दिखाया, खुद आनंदित/ दु:खी गृहस्थों को आनंदित किया ।
इससे भगवान के वचनों पर/ भगवान पर विश्वास होने लगा।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि भगवान् ने कहा है कि संयम, त्याग और ब़ह्मचर्य में आनंद है जबकि श्रावकों को विश्वास नहीं होता है। अतः श्रावकों को भी आनंद के लिए भगवान पर विश्वास करके इसका पालन करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।