सीमा
महाभारत की कथा हैः शिशुपाल के जन्म पर भविष्यवाणी हुई थी कि कृष्ण के हाथों उसका वध होगा। उसकी माता के आग्रह पर कृष्ण ने शिशुपाल के 100 अपराध माफ़ करने का वचन दे दिया। शिशुपाल कृष्ण से शुरू से ही ईर्ष्या करता था। कृष्ण द्वारा रुक्मिणी के हरण के बाद तो उसने शत्रुता ठान ली, क्योंकि रुक्मिणी से उसका संबंध होने वाला था। युधिष्ठिर की सभा में कृष्ण को उसने बहुत अपशब्द कहे। उन्होंने सौ बार क्षमा किया, पर जब उसने पुनः गाली दी, तो कृष्ण ने उसका सिर काट दिया।
हम सबको भी ग़लती सुधारने का मौका मिलता है…
सम्यग्दृष्टि को 6 माह,
देशव्रती को 15 दिन,
महाव्रती को अंतर्मुहूर्त।
इस सीमा के अंदर पश्चाताप करके सुधार लें, तो सम्यग्दर्शन/ देशव्रत/ महाव्रत खंडित नहीं होता।
मुनि श्री सुधासागर जी
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जीवन में प़त्येक को कुलाचर की सीमा बनाने के लिए जैन दर्शन में अपनाने को बताया है। यदि उलंघन करता है, उसको उसका परिणाम भुगतना पड़ता है। जैसे रावण ने उल्लंघन किया गया था,उसका परिणाम मिला था। उल्लंघन होने पर गुरुओं से प्रायश्चित लेना परम आवश्यक है। अतः सीमा के अंदर पश्चाताप करके सुधार लेना चाहिए ताकि सम्यग्दर्शन,देशव़त और महाव़त खंडित होने से बच सकते हैं। अतः जीवन में सीमा निर्धारित करके चलना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।