सुख/दु:ख और धर्म

दुखी न होना ही, सुखी होना है ।
सुखी रहना ही धर्म है ।।

(धर्मेंद्र)

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  1. धम॓ को धारण करने से ही सुख मिलता है जबकि अधम॓ से हमेशा ही दुखी रहना पड़ता है। अतः उचित होगा कि धम॓ से जुड़ने का प्रयास करें तभी जीवन का कल्याण होगा।

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