सुलझना
सचिन तेंदुलकर के 200 वें अंतिम टेस्ट मैच के समय एक संस्मरण सुनाया गया –
पाकिस्तान के साथ एक मैच में उनके बैट्समैन जावेद मियाँदाद ने बॉलर से पूछा कि तेरा रूम नं. क्या है ?
उसने ज़बाब नहीं दिया ।
हर बॉल के बाद मियाँदाद वही प्रश्न करता था और बॉलर कोई ज़बाब नहीं देता था ।
मैच पूरा होने के बाद बॉलर ने पूछा कि मेरा रूम नं. क्यों पूछ रहे थे ?
मियाँदाद ने कहा – मुझे ऐसा सिक्स मारना था जो तेरे रूम के काँच तोड़ देता ।
जाहिर है बॉलर उलझा नहीं, बैट्समैन सिक्स मार पाया नहीं और इंड़िया जीत गया ।
तेंदुलकर किसी से उलझते नहीं/रियेक्ट नहीं करते हैं, बस अपनी मंज़िल की तरफ निरंतर बढ़ते रहते हैं ।
One Response
in all the systems of engg.
there
are
Do’s
&
Do,nots
these are essential
to make the systems work