स्पर्शन-इंद्रिय का विषय तो स्पर्श करने योग्य भी नहीं है ।
(अलका-नोएडा)
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स्पर्शन—जिसके द्वारा स्पर्श किया जाता है उसे स्पर्शन इन्दि कहते हैं।इन्दि—जो सूक्ष्म आत्मा के अस्तिव का ज्ञान कराने में सहायक है।स्पर्शन, रसना, घ़ाण, चक्षु और श्रोत्र के पांच इन्दिया है।इन्दिया अपने अपने निश्चित विषय को ही जान पाती है।जेसे आंख मात्र रूप को जानती हैं वह रस को नहीं जानती हैं।अतः स्पर्शन-इन्दिय का विषय तो स्पर्श योग्य भी नहीं होता है।
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स्पर्शन—जिसके द्वारा स्पर्श किया जाता है उसे स्पर्शन इन्दि कहते हैं।इन्दि—जो सूक्ष्म आत्मा के अस्तिव का ज्ञान कराने में सहायक है।स्पर्शन, रसना, घ़ाण, चक्षु और श्रोत्र के पांच इन्दिया है।इन्दिया अपने अपने निश्चित विषय को ही जान पाती है।जेसे आंख मात्र रूप को जानती हैं वह रस को नहीं जानती हैं।अतः स्पर्शन-इन्दिय का विषय तो स्पर्श योग्य भी नहीं होता है।
Can meaning of the post be explained please?
स्पर्शन-इन्द्रि का मुख्य विषय शरीर होता है,
और शरीर गंदगी का पिटारा है ।
Okay.