स्वाध्याय
चिरोंजाबाई जी चावल बीन रहीं थीं ।
दत्तक पुत्र ने पूछा – क्या कर रही हो ?
स्वाध्याय कर रही हूँ !
उपादेय (चावलों) को रखकर, हेय (कंकड़ों) को अलग कर रही हूँ ।
चिरोंजाबाई जी चावल बीन रहीं थीं ।
दत्तक पुत्र ने पूछा – क्या कर रही हो ?
स्वाध्याय कर रही हूँ !
उपादेय (चावलों) को रखकर, हेय (कंकड़ों) को अलग कर रही हूँ ।