स्व-शक्ति का भान भी होना चाहिये तथा ध्यान भी रखना चाहिये,
वरना अंधा पीसे, कुत्ते खांय ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि स्व शक्ति यानी अपनी आत्मा का भान होना चाहिए,तथा ध्यान भी रखना चाहिए, यदि ऐसा नहीं होता है तो अंधा पीसे और कुत्ते खांय।
अतः जीवन में स्व यानी अपनी आत्मा का स्वभाव जानना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि स्व शक्ति यानी अपनी आत्मा का भान होना चाहिए,तथा ध्यान भी रखना चाहिए, यदि ऐसा नहीं होता है तो अंधा पीसे और कुत्ते खांय।
अतः जीवन में स्व यानी अपनी आत्मा का स्वभाव जानना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकता है।