हितैषी और दुश्मन की क्रियाएं (बाह्य) एक सी होती हैं; दोनों ही असहाय करने का प्रयत्न करते हैं।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि हितैषी एवं दुश्मन की क़ियाऐं ब़ाह्य एक सी होती हैं, जबकि दोनों को मनुष्य को झेलना पड़ता है। जीवन में दुश्मन से बच कर रहना आवश्यक है, जबकि जीवन में हितैषी को अपने साथ रखना चाहिए ताकि वही जीवन में भला कर सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि हितैषी एवं दुश्मन की क़ियाऐं ब़ाह्य एक सी होती हैं, जबकि दोनों को मनुष्य को झेलना पड़ता है। जीवन में दुश्मन से बच कर रहना आवश्यक है, जबकि जीवन में हितैषी को अपने साथ रखना चाहिए ताकि वही जीवन में भला कर सकता है।