Month: May 2024

जीव

जीव जब तक 10 प्राणों से अतीत नहीं होता तब तक उसका एहसास नहीं होता जैसे पानी में मिठास का एहसास तभी होता है जब

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प्रवचन

प्रवचन सिर के ऊपर से निकले तो वक्ता की कमी, हृदय के ऊपर से निकले तो श्रोता की कमी। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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स्त्यानगृद्धि / बैर

स्त्यानगृद्धि में जीव नींद में उठकर हत्या तक कर आता है। यदि किसी के प्रति बैर है तो नींद में उसकी हत्या करने की संभावना

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अर्थ / परमार्थ

जब तक व्यक्ति खुद अपने को संसार के लिये अर्थपूर्ण मानेगा, वह परमार्थ में अर्थहीन रहेगा। जब संसार के लिये अर्थहीन हो जायेगा तब परमार्थ

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ज्ञान चेतना

कर्म, नोकर्म, भावकर्म से जुड़ा है जीव। जब तक पहली दो चेतनाओं(कर्मफल, कर्म चेतना) से ऊपर नहीं उठता तब तक ज्ञान चेतना का अनुभव नहीं।

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Tension

अपने सारे Tensions गुरु/ भगवान को Transfer कर दें। जैसे बचपन में माँ को Transfer करके सो जाते थे, वह जागकर ध्यान रखतीं थीं। पर

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त्याग

सही त्याग वस्तु का नहीं, उसके प्रति लगाव का होता है। इसीलिये तप को त्याग के पहले कहा जाता है। तप से मोह कम होता

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निमित्त नैमित्तिक संबंध

सूर्य के निमित्त से मैं गरम होता हूँ, पर गर्मी मेरी है। यह निमित्त नैमित्तिक संबंध से हुआ, हैं दोनों स्वतंत्र। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर

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भोग / सुविधायें

भोगादि से भी कुछ सकारात्मक ले सकते हैं। इनका भी महत्व होता है। भोग/ सुविधाओं को पूरा न भोगने से इच्छाओं का निरोध होता है,

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मंगल आशीष

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May 6, 2024