अर्थ / परमार्थ

जब तक व्यक्ति ख़ुद अपने को संसार के लिये अर्थपूर्ण मानेगा, वह परमार्थ में अर्थहीन रहेगा।
जब संसार के लिये अर्थहीन हो जायेगा तब परमार्थ में उसका अर्थ शुरू होगा।

श्री लालमणी भाई

Share this on...

4 Responses

  1. श्री लालमणि जी ने अर्थ एवं परमार्थ की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए अर्थ का त्याग करके परमार्थ पर केन्द्रित होना परम आवश्यक है।

  2. ‘जब तक संसार तथा व्यक्ति ख़ुद अपने को संसार के लिये अर्थपूर्ण मानेगा’ ka kya meaning hai, please ?

    1. संसार में महत्व मिलेगा, घमंड आयेगा, उसमें रस आयेगा। तो परमार्थ में क्योंकर जा पाओगे !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

May 5, 2024

May 2024
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031