उत्तम सत्य

  • परनिंदा/चुगली , पाप में प्रवृत्ति, अप्रिय , असंयम को प्रेरणा देने वाले , ड़र पैदा करने वाले और शोक/संताप कराने वाले वचन भी असत्य होते हैं, किसी की गुप्त बातों का खुलासा करना भी असत्य है ।
  • गृहस्थी में असत्य से कैसे बचें ?
    1. अभिप्राय सही रखें ।
    2. घर और व्यवसाय में कम से कम असत्य का प्रयोग करें ।
    3. दूसरों को असत्य ना सिखायें ।
  • प्राय: असत्य किन हालात में बोला जाता है ?
    1. क्रोध में
    2. लोभ में
    3. ड़र से
    4. मज़ाक में
  • साधूओं का सत्य  –
    आर्यिका श्री विशुद्धमति माताजी * ने साध्वी बनते समय अपना सर्विस फ़ंड आदि एक संस्था को दान कर दिया ।
    कुछ पेपरों पर उनके हस्ताक्षर रह गये थे सो संस्था वाले उनसे हस्ताक्षर लेने आये, माताजी ने पूर्व अवस्था के नाम (श्रीमति सुमित्रा जी) से हस्ताक्षर करने से मना कर दिया क्योंकि वह असत्य हो जाता ।
    (इस घटना से प्रेरित होकर सरकार ने वह पैसे संस्था को दिलवा दिये)

पं. रतनलाल बैनाड़ा जी – पाठ्शाला (पारस चैनल)

  • एक शेर को अपना मंत्री नियुक्त करना था ।
    उसने सब जानवरों को बुलाकर पूछा – मेरे मुँह से कैसी गंध आती है ?
    गधे ने कहा – दुर्गंध आ रही है,
    गीदड़ ने कहा – सुगंध आ रही है,
    सियार ने कहा – मुझे तो ज़ुकाम हो गया है ।
    सियार का चयन हो गया ।
    सत्य – हित, मित और प्रिय होना चाहिये ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Share this on...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

September 23, 2012

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930