उत्तम तप

  • इच्छाओं का निरोध ही तप है ।
  • दो तरह के लोग होते हैं –
    1. खाने पीने और मस्त रहने वाले, ये दुर्गति को प्राप्त होते हैं ।
    2. साधना तप करने वाले जो इस जन्म में और अगले जन्म में भी सुगति प्राप्त करते हैं ।
  • फिर हम तप क्यों नहीं कर पाते ?
    1.  हमें उसकी महिमा/फल पर विश्वास नहीं है ।
    2.  दूर से देखने पर हमें कष्ट मालूम पड़ता है ।
    3.  इच्छाशक्ति की कमी ।
  • तप क्यों ?
    1. कर्मों को जलाने के लिये ।
    2. पुण्य बंध के लिये ।
    3. पापों से बचने के लिये ।
    4. समाधिमरण में सहायक होता है ।
    5. मोक्ष प्राप्ति के लिये ।
  • तप के भेद –
    1. छ: बाह्य जो दिखाई देते हैं – उपवास आदि ।
    2. छ: अंतरंग – प्रायश्चित्त आदि ।
  • वैसे तो उत्तम तप साधूओं में होता है पर गृहस्थों को भी इसका आंशिक रूप से पालन करना चाहिए और धीरे धीरे इसको बढ़ाना चाहिए, जैसे नमक आदि छोड़ना, बाहर की चीजें छोड़ना, पर्वों पर एकासन/उपवास करना ( सामूहिक करने में आसानी हो जाती है ) ।

पं. रतनलाल बैनाड़ा जी – पाठ्शाला (पारस चैनल)

  • Tap (नल) की तासीर है कि उसे प्रयोग (खोलना) करो तो टंकी खाली हो जाती है ।
    “Tap” की हिन्दी “तप” की भी यही प्रकृति है ।
    तप से भी कर्मों की टंकी खाली हो जाती है ।

चिंतन

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