किस्मत/काबलियत
कागज अपनी किस्मत से उड़्ता है (हवा चले तो ही उड़े), लेकिन पतंग अपनी काबिलियत से उड़ती है।
इसीलिये किस्मत साथ दे ना दे, काबलियत हमेशा साथ देती है ।
(श्री दीपक जैसवाल – ग्वालियर)
कागज अपनी किस्मत से उड़्ता है (हवा चले तो ही उड़े), लेकिन पतंग अपनी काबिलियत से उड़ती है।
इसीलिये किस्मत साथ दे ना दे, काबलियत हमेशा साथ देती है ।
(श्री दीपक जैसवाल – ग्वालियर)