आंतरिक कमजोरी
रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हों,
तो भी एक अच्छा जूता पहनकर
उस पर चला जा सकता है..
लेकिन यदि एक अच्छे जूते
के अंदर एक भी कंकड़ हो तो
एक अच्छी सड़क पर भी
कुछ कदम भी चलना मुश्किल है ।।
यानि –
“बाहर की चुनौतियों से नहीं
हम अपनी अंदर की कमजोरियों
से हारते हैं ”
(आशीष मणी)