धोखा

विभीषण के राम की शरण में आते समय सलाहकारों ने कहा – वह धोखा दे सकता है ।
राम – धोखा देना पाप है, खाना पाप नहीं ।
धोखा खाने वाला मंदबुद्धि नहीं, सरलबुद्धि होता है ।

क्षु. श्री ध्यानसागर जी

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2 Responses

    1. सहर्ष धोखा खाने में कर्म निर्जरा तो होती है,
      पर सहर्ष रहने के लिये राम जैसी सहनशक्ती और धैर्य होना चाहिये।
      यदि नहीं है तो सामने वाले को बता दो कि हम सब समझते हैं।
      पर कम से कम किसी को धोखा दो मत ।

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