ग़लतफ़हमियों के सिलसिले इतने दिलचस्प हैं…..
हर ईंट सोचती है, दीवार मुझ पर टिकी है…..!!
(सुरेश)
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2 Responses
यह कथन बिलकुल सही है… आजकल इनसान भी ईंट की तरह सोचता है, लेकिन गलतफ़हमी से बचने के लिए अपनी आत्मा की पहचान ज़रूरी है ।जब उसका अस्तित्व जान जाएगा, तब ही गलतफ़हमी से छुटकारा मिलेगा और अपना कल्याण कर सकेंगे ।
मीठी वाणी का कथन बिलकुल सही है…,
पाँच इन्द्रियों की जो रचना है उसमें वाणी के लिए जिव्हा बनाई है, जिससे मीठी आवाज से बोलना चाहिए, जिससे आपका भव सुधर जाएगा । यह भगवान के द्वारा दिया वरदान है; उसका इस्तेमाल मीठी आवाज़ में किया जावे ।
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यह कथन बिलकुल सही है… आजकल इनसान भी ईंट की तरह सोचता है, लेकिन गलतफ़हमी से बचने के लिए अपनी आत्मा की पहचान ज़रूरी है ।जब उसका अस्तित्व जान जाएगा, तब ही गलतफ़हमी से छुटकारा मिलेगा और अपना कल्याण कर सकेंगे ।
मीठी वाणी का कथन बिलकुल सही है…,
पाँच इन्द्रियों की जो रचना है उसमें वाणी के लिए जिव्हा बनाई है, जिससे मीठी आवाज से बोलना चाहिए, जिससे आपका भव सुधर जाएगा । यह भगवान के द्वारा दिया वरदान है; उसका इस्तेमाल मीठी आवाज़ में किया जावे ।