कारणों में सुख ढूढना बंद कर दें, तब आत्मा का स्वाभाविक आनंद स्वत: ही आने लगेगा।
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2 Responses
यह कथन बिलकुल सत्य है – – – – –
आजकल हर इन्सान दुखी रहता है इसका मुख्य कारण इच्छाओं की पूर्ति न होना है। इसके लिए जो है उसमें सन्तुष्ट रहेगा तब वह दुखी नहीं रहेगा। अतः उसको अपनी आत्मा पर श्रद्धान करना होगा इसके लिए धम॓ का सहारा लेना चाहिए तभी अपने जीवन में सुख का आनन्द उठा सकता है।
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यह कथन बिलकुल सत्य है – – – – –
आजकल हर इन्सान दुखी रहता है इसका मुख्य कारण इच्छाओं की पूर्ति न होना है। इसके लिए जो है उसमें सन्तुष्ट रहेगा तब वह दुखी नहीं रहेगा। अतः उसको अपनी आत्मा पर श्रद्धान करना होगा इसके लिए धम॓ का सहारा लेना चाहिए तभी अपने जीवन में सुख का आनन्द उठा सकता है।
Very true.
Agar “karanon” mein sukh hota, to bhagwan, apne aap mein hi “sukhi” nahin rehate aur ameer log jinhe sukh ke saare kaaran uplabdh hain, kabhi “dukhi” nahin hote. Aise hi, ek garib vyakti jiske paas koi sukh ka kaaran nahin, akaaran hi, “sukhi” reh sakta hai.