जीवन से प्रेम
जीवन से प्रेम तो साधू ही करते हैं क्योंकि वे उसकी क़ीमत जानते हैं/सुख में रहते हैं ।
भिखारी/दुखी के मरने पर सब संतोष करते हैं – अच्छा हुआ छूट गया ।
मुनि श्री सुधासागर जी
जीवन से प्रेम तो साधू ही करते हैं क्योंकि वे उसकी क़ीमत जानते हैं/सुख में रहते हैं ।
भिखारी/दुखी के मरने पर सब संतोष करते हैं – अच्छा हुआ छूट गया ।
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
यह कथन बिलकुल सत्य है – – – –
आजकल, अधिकांश लोगों की इच्छाओं की बढोतरी हो गई है एवं शरीर पर केंद्रित रहते हैं, जिसके कारण जीवन से प्रेम नहीं रहता है। जब कि साधु आत्म-स्वरूप को पहचान करते हैं, इसलिए जीवन से प्रेम करते हैं एवं सभी को जीवन जीने की कला बताते हैं ।