मुनियों के शेष 7 गुण (निर्ग्रंथ, केशलोंच, खड़े होकर आहारादि), इसके साथ ही 28 मूलगुण बनते हैं जैसे मूलगुण में अपरिग्रह, शेष गुण की निर्ग्रंथता के बिना क्या महत्व !
पर मूलगुण के बिना शेषगुणों का अस्तित्व नहीं ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी।
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श्रावक से मुनि बनने के लिए 28 मूल गुणों की आवश्यकता है लेकिन मुनियों के लिए शेष 7 गुण का भी पालन करना होता है तभी वह मोक्ष मार्ग के रास्ते पर आगे बढ सकते हैं। यह भी ध्यान रखना होता है कि मूल गुणों के बिना शेष गुणों का अस्तित्व नहीं रहता है।
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श्रावक से मुनि बनने के लिए 28 मूल गुणों की आवश्यकता है लेकिन मुनियों के लिए शेष 7 गुण का भी पालन करना होता है तभी वह मोक्ष मार्ग के रास्ते पर आगे बढ सकते हैं। यह भी ध्यान रखना होता है कि मूल गुणों के बिना शेष गुणों का अस्तित्व नहीं रहता है।