विग्रहगति में दर्शन

इसमें तीन दर्शन होते हैं (कार्मण काय योग में चारों), पर चक्षु दर्शन का उपयोग नहीं होता, सिर्फ सत्ता में रहता है/क्षयोपशम होता है । जबकि अचक्षुदर्शन का उपयोग भी होता है (यदि न माना जाये तो जीव बिना दर्शन के हो जायेगा ) ।

बाई जी/पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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