नरकायु और नियम

सच्चे देव शास्त्र गुरू पर श्रद्धा, ये नियम में नहीं आयेगा ।
वरना राजा श्रेणिक नरकायु बांधने के बाद क्षायिक सम्यग्दर्शन प्राप्त नहीं करते ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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4 Responses

  1. जो जीवों को शीत,उष्ण आदि वेदनाओं से निरंतर आकुलता करने वाले होते हैं अथवा पापी जीवों के लिए अत्यंत दुख वाले नरक हैं अथवा जिस स्थान में पापी जीव रमने वाले ही हैं अथवा प्रेम भाव को प़ाप्त नहीं होता हैं वह नरक कहलाते हैं।
    नियम—भोग उपयोग की सामग्री का त्याग करना नियम कहलाता है। अतः सच्चे देव शास्त्र गुरु पर श्रद्वा,ये नियम में नहीं आवेगा वरना राजा श्रेणिक नरक आयु बांधने के बाद क्षायिक सम्यग्दर्शन प़ाप्त नहीं करते।

    1. श्रेणिक को स.दर्शन था यानि सच्चे देव गुरु शास्त्र पर श्रद्धा थी।
      यदि इसे नियम मान लिया जाए तो नरक नहीं जाना चाहिए था क्योंकि नरकायु बंधा जीव नियम नहीं ले सकता है।

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