मंदिर में शिक्षा
स्कूल में पढ़ाई, बाहर/आगे जाकर कमाई करने के लिये होती है ।
मंदिर में शिक्षा भी मंदिर के बाहर उपयोग के लिये ।
मुनि श्री सुधासागर जी
स्कूल में पढ़ाई, बाहर/आगे जाकर कमाई करने के लिये होती है ।
मंदिर में शिक्षा भी मंदिर के बाहर उपयोग के लिये ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उक्त कथन सत्य है कि स्कूल में पढ़ाई बाहर जाकर कमाई करने के लिए होती है, जबकि मंदिर में शिक्षा भी मंदिर के बाहर उपयोग के लिए भी होती है।
अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने प़तिभा स्थली को शुरुआत की गई है जिसमें धर्म और नैतिकता का प़ाबधान किया गया है। पूर्व जमाने में गुरुकुल होते थे जिसमें नैतिकता और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता था।