उत्तम संयम धर्म
संयम = सही यतन/ आत्मनियंत्रण
संयम के लिए …
1) निषेध – मन को निषेध-आज्ञा देने पर, वह पापों की ओर नहीं भागता है ।
2) नियम – Selfcommitments/ Rules निभाने से जीवन में स्थिरता/ व्यवस्था/ आनंद और शक्ति आती है ।
3) नियंत्रण – नियम के बावज़ूद भी यदि मन पापों की ओर भागे तो आत्मनियंत्रण करें ।
4) शुद्धि – अंतरंग संयम से ही जीवन में शुद्धि व सिद्धि प्राप्त होती है ।
मुनि श्री प्रमाण सागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि संयम का मतलब सही यतन और आत्मनियंण।संयम के लिए चार बिंदु बताएं गये है।1 निषेध यानी मन को निषेध के लिए आज्ञा देने पर इसलिए पापों की ओर नहीं भागता है।2 नियम लेने की आवश्यकता है,जिसको निभाने में स्थिरता, व्यवस्था, आनंद और शक्ति आती है।3 नियंत्रण का मतलब जब मन पापों की ओर भागे तो आत्मनियंत्रण की आवश्यकता है।4 शुद्वी का मतलब अंतरंग संयम से ही जीवन में शुद्वी व सिद्वी प्राप्त हो सकती है।