समर्पण

समर्पण यानि अपने को आराध्य के लिये मिटा देना।
मिटाना यानि अपने मन को आराध्य के अनुसार चलाना।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

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One Response

  1. भगवान् एवं गुरुओं के प्रति श्रद्धा एवं समर्पण होना चाहिए ताकि अपने मन को आराध्य के अनुसार चलने में समर्थ कर सकते हैं।
    अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि समपर्ण यानी अपने आराध्य के लिए मिटा देना ही होता है।

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