मनुष्य जीवन की सार्थकता

पनही* पशु के होत हैं, नर के कछू नहीं होत।
नर यदि नर-करनी करे, तब नारायन होत।

*जूता (पशु की खाल का)

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Share this on...

3 Responses

  1. सार्थकता का मतलब उपयोगता। उपरोक्त कथन सत्य है कि पशु की उपयोगिता उसके मरने के बाद भी रहती है। जीवन में मनुष्य जीव अपनी सार्थकता दिखाने में कामयाब नहीं होते हैं। मनुष्य को अपनी सार्थकता दिखाने के लिए मानव सेवा एवं आध्यात्मिक को अपनाना परम आवश्यक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

March 30, 2022

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930