जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ कार्य होना या क़िया करना होता है।नो कर्म का तात्पर्य उदय से प्राप्त औदारिक शरीर जो जीव के सुख दुःख में निमित्त बनता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि 8 कर्म हैं, उनके फल नोकर्म यानी शरीरादिद। अतः जीवन में कर्मों का मिटाना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ कार्य होना या क़िया करना होता है।नो कर्म का तात्पर्य उदय से प्राप्त औदारिक शरीर जो जीव के सुख दुःख में निमित्त बनता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि 8 कर्म हैं, उनके फल नोकर्म यानी शरीरादिद। अतः जीवन में कर्मों का मिटाना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।