यदि “जन्म-जरा-मृत्यु-विनाशनाय” अर्घ्य पढ़ते समय मूर्ति में मूर्तिमान के दर्शन हो जायें, तो अकाल मरण टल जाता है।
ऐसे ही “संसार-ताप-विनाशनाय” अर्घ्य के समय दर्शन होने पर इष्ट-वियोग तथा अनिष्ट-संयोग टल जाते हैं।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने मूर्तिमान दर्शन की परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए महाराज जी ने जो नियम दिया है उसका पालन करना परम आवश्यक है।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने मूर्तिमान दर्शन की परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए महाराज जी ने जो नियम दिया है उसका पालन करना परम आवश्यक है।