Category: चिंतन
गुण खिलाना
हृदयांगन में सुगंधित गुण रूपी फूल खिलने पर, आँगन सुंदरता/ सुगंधी से तो भर ही जाता है तथा सत्संगी रूपी तितलियाँ भी मंडराने लगती हैं,
Theory of “Something”
प्राय: हम उन चीजों का विवरण बहुत विस्तार में देते हैं जिनमें सामने वाले को कोई रुचि नहीं होती/ वह जानना भी नहीं चाहता जैसे
सोच के भेद
1. सामान्य…बुरे को बुरा माने 2. मध्यम… अच्छे को अच्छा 3. निकृष्ट… अच्छे को बुरा 4. साधु…. बुरे को भी बुरा न माने चिंतन
धर्म
दया/ क्षमा धर्म कैसे ? धर्म की अंतिम परिभाषा –> वस्तु का स्वभाव ही धर्म है। दया/ क्षमा आत्मा का स्वभाव है, इस अपेक्षा से
विनय / अविनय
विनय करने को कहा, तो ‘अविनय नहीं करना’, कहने की क्या आवश्यकता थी ? सद्गुणों की विनय करें, किंतु कमजोरीयों की अविनय भी नहीं करें।
अभिनय
1. सरल –> सामान्य/ अज्ञानी/ रागी गृहस्थ करता है पर दुःख का कारण। 2. कृत्रिम –> नाटक में… ज्ञानी/ समझदार करता है, सब संतुष्ट। जब
दोष
प्राय: सुनने में आता है अमुक व्यक्ति बहुत बुरा है। सही प्रतिक्रिया –> ऐसा है ! तो उनकी बुराइयों की लिस्ट बना कर देदें। पर
नेतृत्व
आप धर्म/ स्वाध्याय कराते हो तो कर लेते हैं। आप इंजन, हम डिब्बे हैं। सुभाष-नया बाजार मंदिर हरेक में इंजन बनने की क्षमता है। बस
बुद्धिमत्ता / विद्वत्ता
बुद्धिमत्ता विद्वत्ता में अंतर ? सुमन बुद्धिमत्ता में बुद्धि की प्रमुखता, विद्वत्ता में बोधि(विवेकपूर्ण ज्ञान)की प्रमुखता रहती है। चिंतन
साधन / साध्य
शीतल/ प्यास बुझाने वाला जल तो कुएं में ही है। पर उसे पाने के लिये रस्सी, बाल्टी जरूरी हैं। पूजादि भी साधन हैं, आत्मधर्म प्रकट
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