Category: संस्मरण-आचार्य श्री विद्यासागर
दीक्षा
आचार्य श्री विद्यासागर जी को उनके गुरू आचार्य श्री ज्ञानसागर जी जब 22 साल की उम्र में दिगम्बर मुनि बना रहे थे तब समाज वाले
निर्वाण दिवस
दीपावली की पहली रात को आचार्यश्री ध्यान में बैठे और सुबह जब बाकी साधु और श्रावक लोग आये तो देखा कि आचार्यश्री की आँखें लाल
सकारात्मक सोच
एक विद्यार्थी C.A. में तीन बार फेल होकर आचार्य श्री विद्यासागर जी के पास बड़ा निराश होकर आया। आचार्य श्री – तुम्हारा अनुभव तो बढ़ा
शांति
किसी ने पूछा – घर में बहुत अशांति रहती है, क्या करें ? आचार्य श्री – मन में शांति रखो ।
अतिथि संविभाग
आचार्य श्री एक बार किसी गरीब के घर आहार के लिये गये, रोटियों के बर्तन में 6 रोटियाँ थीं, उन्होंने 2 रोटी खाने के बाद
दुनिया
आचार्य श्री विद्यासागर जी के संघ का विहार चल रहा था, बाहर कहीं एक गाना चल रहा था, “दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में
घ्रणा
आचार्य श्री दुसरे मुनिराजों के साथ शौच के लिये जाते थे वहां पर कचड़े का ढ़ेर था और उससे बहुत दुर्गंध आती थी । मुनिराजों
सलाह
महुआ चातुर्मास के दौरान पूरी रात पूजा की गई और विधि पूर्वक नहीं की गई । आचार्य श्री से निवेदन किया गया कि आप इसे
सावधानी
विहार करते समय आचार्य श्री ने कहा -यदि पट्टी (सड़क पर खींची सफेद पेंट की लाईन) पर चलोगे तो पट्टी नहीं बंधेगी (पैरों पर) ।
अहिंसा
S. L. भाई ने आचार्य श्री से पूछा कि अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा इतनी छोटी परिस्थितियों से उठ कर इतनी बड़ी जगह कैसे पहुंच गये ? आचार्य
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