Category: 2018

कुभोग भूमि

कुभोग भूमि में कल्पवृक्ष नहीं होते, फलफूल बहुतायत में । मनुष्य/त्रिर्यंच युगलिया पैदा होते हैं । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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बंध / कर्मक्षय

10 वें गुणस्थान में मोहनीय का क्षय हो रहा है पर बाकी ३ घातिया कर्मों का बंध भी हो रहा है । मुनि श्री सुधासागर

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कर्म / नोकर्म

“कर्म” परिवर्तित करता है, “नोकर्म” प्रभावित करता है, “संकल्प” इनके Effect को Neutralize करता है ।

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नोकर्म वर्गणायें

द्रव्य, काल, क्षेत्र, भव, भावों के अनुसार नोकर्म वर्गणायें मिलती हैं जैसे अफ़्रीका में काले रंग की नोकर्म वर्गणायें । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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प्रमत्त / अप्रमत्त

आहारादि प्रवृत्ति प्रमत्त अवस्था, प्रवृति में सावधानी अप्रमत्त अवस्था । मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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प्रतिमा और गुणस्थान

5वाँ गुणस्थान पहली या दूसरी प्रतिमा वालों के ? मुनि श्री उत्तमसागर जी 12 शीलव्रतधारी के ही संयम माना जायेगा । पहली प्रतिमा में पाप

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संज्ञी

यदि कोई जीव संज्ञी बनने जा रहा है तो विग्रह-गति तथा अपर्याप्तक अवस्था में कहलायेगा तो संज्ञी पर बनेगा तब जब पर्याप्तक हो जायेगा। पं.

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बंध

कर्म-बंध के समय अलग अलग कर्म प्रकृतियों की स्थिति और अनुभाग अलग अलग बंधेगा । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी

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अनुबंध

पापानुबंधी/पुण्यानुबंधी का निर्णय कर्मबंध के समय ही तय हो जाता है – कि उदय के समय यह पाप का अनुबंध करेगा या पुण्य का ।

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मंगल आशीष

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