Category: वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर
सेवा
आचार्य श्री विद्यासागर जी से पूछा –> मनुष्य की सबसे बड़ी सेवा क्या है ? अपनी मनुष्यता का एहसास करना। मुनि श्री विनम्रसागर जी
विवाह
विवाह विषयों के निमंत्रण के लिये नहीं, नियंत्रण के लिये। विवाह दवा है, इसे भोजन मत बनाना। आचार्य श्री विद्यासागर जी
मौन
शब्द पंगु हैं, जबाब न देना भी लाजबाव है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
अध्यात्म
कर्म के उदय को स्वीकार करना ही अध्यात्मविद्या है। आचार्य श्री विद्यासागर जी (मुनि श्री अक्षयसागर जी)
पूर्णतावादी
पूर्णतावादी का कोई कार्य कभी पूरा नहीं होता है। क्योंकि उसकी निगाह में कोई भी कार्य सर्वगुण सम्पन्न नहीं होता है। इसलिये जोखिम उठाने के
सद्गुरु
सद्गुरु आशीर्वाद देते हैं, आश्वासन नहीं। आचार्य श्री विद्यासागर जी
धर्म किस आयु में ?
Makeup की आयु में धर्म कर लेना, क्योंकि Checkup की आयु में तो धर्म करने लायक बचोगे ही नहीं। आचार्य श्री विद्यासागर जी
कर्मोदय
जैसे नख और केश बार-बार उग आते हैं, वैसे ही कर्मोदय है। आचार्य श्री विद्यासागर जी (जैसे नख/ केश को बार-बार काटना पड़ता है ऐसे
वचन
ऐसे सचित्त* शब्दों को मत बोलो जिससे दूसरे का चित्त उखड़ जाये। आचार्य श्री विद्यासागर जी *कीड़ों सहित (जहरीले)।
गुरु
जिसने अपना ग़ुरूर छोड़ दिया हो, वह गुरु है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
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