Category: वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर

ज्ञान / तप

रोशनी* नहीं, आग** जलाऊँ ताकि, कर्म दग्ध*** हों। *ज्ञान    **तप    ***जलना/समाप्त होना आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

परिग्रह

गुब्बारा फूटा, क्यों मत पूछो, पूछो फुलाया क्यों था ? आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

मोह

मोह तथा चुम्बक अपने क्षेत्र में हर किसी को आकर्षित कर लेते हैं, आत्मा भी शरीर के साथ मोहवश ही रहती है। पर वैराग्य के

Read More »

सोच / सुनना / सहना

छोटी सोच शंका को जन्म देती है, बड़ी सोच समाधान को। सुनना (गुरु की सीख/ कटु सीख) सीख लिया तो सहना सीख जाओगे और सहना

Read More »

सकारात्मक दृष्टि

भारत को विकासशील तथा पश्चात देशों को विकासवान कहा जाता है। इसमें बुरा क्या ? हमारा तो इतिहास कहता है कि हम हजारों वर्ष पहले

Read More »

वाचना

वाचना का अर्थ है प्रदान करना/ शिष्यों को पढ़ाना। Self Study नहीं, इससे ही एकांत-मत पनप रहे हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

ध्यान

1. एक विषय में निरंतर ज्ञान का रहना ध्यान है। 2. मन को विषयों से हटाने का पुरुषार्थ ध्यान है। 3. ध्यान लगाने का नाम

Read More »

भगवान की वाणी

भगवान की वाणी को भोजन की तरह पूरा खोलकर, हर किसी के सामने परोसते नहीं रहना चाहिये वरना उसका महत्त्व कम हो जाता है। उपदेश

Read More »

धर्म

धर्म दो प्रकार का – 1. श्रावकों का…. अनुष्ठान की प्रमुखता, 2. श्रमणों (साधुओं) का…. अध्यात्म की प्रमुखता। आचार्य श्री विद्यासागर जी (क्योंकि श्रावकों का

Read More »

संस्कारों पर विजय

हींग की डिब्बी से गंध कैसे दूर हो ? 1. केसर को ज्यादा-ज्यादा मात्रा में बार-बार भरने से। बार-बार शुभ क्रियाओं से, अशुभ संस्कार खत्म

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

January 13, 2023

May 2024
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031