Category: वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर
भूख
भूख की पूर्ति शक्ति के लिये, ताकि अनंत शक्ति की भूख जगे । आचार्य श्री विद्यासागर जी
असली की पहचान
सोने की पहचान – 1. पीला रंग पीतल का भी, पर चमक में फर्क । 2. अग्नि परीक्षा में और-और चमकता है । मूल्यवान का
विकार
बुखार से निवृत होना चाहते हो, विकार से क्यों नहीं ? आचार्य श्री विद्यासागर जी
कर्म-फल
फल एक बार ही स्वाद (खट्टा या मीठा) देता है, कर्म भी एक बार फल देकर झर जाते हैं । (चाहे जैसा का तैसा/ खट्टा
क्रोध
बर्फ को आग भी गरम नहीं कर सकती । जल पी लेने से वह शरीर रूप Solid बन जाता है; ऐसे ही हम क्रोध को
मोक्ष-पुरुषार्थ
यदि पहले तीनों पुरुषार्थ (धर्म, अर्थ, काम) धर्मानुसार हैं तो मोक्ष-पुरुषार्थ तो होगा ही । आचार्य श्री विद्यासागर जी
मोक्ष
स्व-नियंत्रण की पूर्णता ही मोक्ष है । नियंत्रण हो निज पै, दीप बुझे स्व सांस से (अनियंत्रण से) । आचार्य श्री विद्यासागर ञजी
संसार
संसार का कारण दखलंदाज़ी । (दूसरों के मामलों में) आचार्य श्री विद्यासागर जी
गुरु को/की मानना
1. गुरु ने सुंदर खरगोश दिया, रास्ते में ठगों के बार-बार पिल्ला कहने पर छोड़ दिया । 2. दुर्योधन की माँ ने कहा वस्त्र उतार
धर्म का प्रवाह
धर्म का प्रवाह बहुत महत्वपूर्ण है, पर यदि उपयोग नहीं किया तो वह बह जायेगा । आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
Recent Comments