Category: वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर

बदलाव

बदलावों से नयी अनुभूतियाँ होती हैं । भीतर के बदलाव के लिये बाह्य का परिवर्तन जरूरी है । भाव बनाने के लिये शादी, सेना, पूजा

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साधु

तुम किस किस को हटाओगे ? किस किस को घर से निकालोगे ? इसलिये, स्वयं निकल जाओ । स्वयं हटना बहुत सरल है, इसीलिये, साधु

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शुभ / शुध्द

हंस दूध पीकर पानी को छोड़ता नहीं है, पानी छूट जाता है । शुध्द अवस्था में, शुभ अपने आप छुट जाता है, छोड़ना नहीं पड़ता

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शिकायतें और सब्र

बस दो मसले जिंदगी भर ना हल हुए…. प्यास लगी थी गज़ब की… मगर पानी में ज़हर था… पीते तो मर जाते और ना पीते

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भाषा

भावों को दर्शाने का माध्यम और सबसे अच्छी अभिव्यक्ति मातृभाषा में ही हो सकती है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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विज्ञान

क्या, कब, कैसे खाना, विज्ञान का विषय है । क्यों/कितना, वीतराग विज्ञान का । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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शांति

घर में शांति बनाये रखने के लिये क्या करें ? आचार्य श्री – मान कम कर लो । (विमल-ग्वालियर)

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भक्ति

भक्ति, भगवान और भक्त के बीच दोनों को जोड़ने में, गोंद का काम करती है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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स्वाभिमान

स्वाभिमानी, अभिमानी नहीं हो सकता । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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मंगल आशीष

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