Category: वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर

मन

जो मनमाना करता है, वो मन माना जाता है। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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आजकल धर्म

आज के युग में धर्म से ज्यादा, धैर्य कम हुआ है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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व्रत/संगति

व्रत की गाड़ी एक बार खरीदी जाती है पर पैट्रोल डालते रहना होगा/Maintenance लगातार करनी पड़ेगी, गुरुवचन/संगति आवश्यक रहेगी । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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साता

जो पाता है ,सो भाता नहीं, जो भाता है ,सो पाता नहीं । इसीलिये साता नहीं । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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उपवास

हर चक्की वाला अपनी चक्की सप्ताह में एक दिन बंद रखता है, तुम अपनी चक्की हर दिन, हर समय क्यों चलाते रहते हो ? आचार्य

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इतिहास

इति + हास = वह भूतकाल जो हँसी का पात्र है । आचार्य श्री विद्यासागर जी (जन्म जन्मांतरों में किया क्या है ? जीवनों को

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उत्तम ब्रम्हचर्य

संसार से विश्राम की दशा का नाम ही ब्रम्हचर्य है । स्त्री के पीछे भागना और स्त्री से दूर भागना, बात एक ही है ।

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उत्तम आकिंचन धर्म

दुनियाँ के सारे संबंधों के बीच, मैं अकेला हूँ यही भाव रखना आकिंचन धर्म का सूचक है । आचार्य श्री विद्यासागर जी कुछ मिलने की

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वक्ता

वाणी से वक्ता की पहचान नहीं, वक्ता से वाणी की पहचान करना । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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विकल्प

जो निर्विकल्प रहेगा, वह दूसरों को विकल्प पैदा नहीं करेगा । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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मंगल आशीष

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