Category: वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर

आचरण

आचरण के दंड़ के बिना उदंड़ता नहीं जाती है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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मतदान

✿ लोकतंत्र को बचाएँ ,मतदान करें और सभी से कराएँ ✿ शहीदों ने अपनी जान की बाजी लगाकर देश में लोकतंत्र की स्थापना की और

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बेईमानी

बेईमानी का नकली सिक्का थोड़े दिन ही चलता है पर ईमानदारी की शक्ल में ही चलता है । देखा जाये तो ईमानदारी ही चलती है,

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बाल

छोटा सा बाल गले में अटक जाये तो बेसुरा, दु:खदायी, धर्मध्यान में बाल (बालक) ऐसा ही अवरोध है, बालहट, बालतप व्यवधान है । मन भी

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नाम

एक ही नाम के कई सारे जीव हैं इस संसार में, तो नाम का क्या महत्व रहा !! आत्मा का कोई नाम नहीं होता ।

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बताना

बताना तो ठीक है, पर मनवाने से कषाय पैदा होती है । समझाना तो ठीक है, पर सामने वाले की समझ में आया या नहीं, उलझने

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दोस्त

दोस्त – दो का अस्तित्व जब एक लगने लगे । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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परिग्रह

अज्ञान दशा में जोड़ा है (जरूरत से ज्यादा) तो ज्ञान दशा में छोड़ दो । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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अर्थ

अर्थ* से अर्थ** के आकर्षण को अर्थहीन करें । आचार्य श्री विद्यासागर जी * शास्त्र/गुरुवाणी के अर्थ ** धन दौलत

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निर्वेग

वेग में तो पढ़े/बिना पढ़े सब बराबर हो जाते हैं । विकलता के साथ तो धार्मिक क्रियायें/वैराग्य भी सही नहीं है । आचार्य श्री विद्यासागर

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मंगल आशीष

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