Category: वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर
अतीत/वर्तमान
December 20, 2009
अतीत पर हँसो, वर्तमान में जीओ । आचार्य श्री विद्यासागर जी
दया
December 17, 2009
पर पर दया करना, प्राय: अध्यात्म से दूर जाना लगता है । स्वंय के साथ पर का और पर के साथ स्वंय का ज्ञान होता
असावधानी
November 26, 2009
पैरों में कांटे गढ़े, आंखो में फ़ूल, आंखे चली क्यों ? ( पैर में कांटे तभी लगते हैं जब आंखे बाहर की सुंदरता से आकर्षित
चाह
November 18, 2009
एक व्यक्ति ने कहा – चाय छोड़नी है। आचार्य श्री – चाय छोड़ने से पहले चाय की चाह छोड़नी चाहिये। आचार्य श्री विद्यासागर जी
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