समता भाव
एक गाँव में एक बूढ़ा रहता था उसके पास एक बेटा था और एक घोढ़ा था, छोटा सा गाँव था तो सब एक दुसरे के घरों में क्या हो रहा है बड़ा ध्यान रखते थे . एक दिन बूढ़े का घोडा भाग गया तो गाँव वाले दौड़े -दौड़े उसके पास हमदर्दी दिखाने आए बोले अरे बूढ़े भाई ये तो बहुत बुरा हुआ वैसे भी तुम्हारा अपना कहने को एक बेटा और एक घोढ़ा ही था और अब तो वो भी भाग गया, तो भूदे बाबा ने बड़ी शालीनता से कहा की अब इसमें क्या अच्छा और क्या बुरा बस इतने ही कहो कल तक घोडा था आज नहीं है. लोगों ने सोचा की घोड़े के चले जाने के कारन बाबा का दिमाग शायद………….. आप समझ गए क्यूंकि अगर कोई इस तरह की बात करने लगता है अपने जीवन को अच्छा बनाने की कोशिश करता है तो हम उसे पागल ही तो समझते है और पता है कुछ दिन बाद वो घोडा वापस लौट आता है और इतना ही नहीं ५-१० घोड़े और साथ में लेकर आत्ता है अब अब फिर सब उसके पास आ गए बोले वाह बुद्दे भाई वाह वाह अच्छा हुआ की घोडा भाग गया था देखो अब तो ये इतने घोड़े लाया है की तुम्हारी जिंदगी आराम से गुजरेगी, पर बुद्दे बाबा ने अब भी उतनी ही शालीनता से जबाब दिया की इसमें क्या अच्छा और क्या बुरा बस इतने ही कहो कल तक १ घोडा था आज ५-१० घोड़े और हैं फिर लोगो को लगा की बूढ़ा तो सठिया गया है. फिर कुछ दिन बाद की बात है बुद्धे का बेटा उन नए घोड़े पर बैठ के जा रहा था वो नए घोड़े तो नए ही थे उन्होंने उस बेटे को पटक दिया जिससे उसका पैर टूट गया अब अब फिर लोग जुड़ गए कहने लगे बहुत बुरा हुआ जो ये नए घोड़े आ गए न आते न बेटा उसपे बैठता और न उसका पैर टूटता प् बुड्डा तो अभी भी समता में था कहने लगा की फिर वही अभी भी कुछ मत कहो की अच्छा हुआ की बुरा कल तक तुम्ही कहते थे अच्छा हुआ और आज कहते हो बुरा हुआ बड़ी जल्दी तुम्हारे गडित बदल जाते हैं अब तो लोगो ने सोचा की बुद्दे का दिमाग सच में ख़राब हो गया है उसको कुछ हमारी बात समझ में ही नहीं आती. और फिर कहानी को जितना बढ़ाना चाहो उतनी बढ़ जाएगी कुछ दिन बाद ही जिस देश में बूढ़ा रहता था उस देश पर किसी दुसरे देश ने आक्रमण कर दिया और इस देश के रजा ने ऐलान किया की हर घर से एक बेटे को सेना में भेजना पड़ेगा तो राजा के सेनापति आये और हर घर से एक बेटा ले जाने लगे जब बुद्दे के घर आये तो देखा की उसका तो पैर टुटा है वो तो सेना में जाने लायक है ही नहीं तो छोड़ दिया बाकि सबके बेटों को ले गए अब अब सब फिर आए और कहने लगे की अच्छा हुआ पैर टूट गया तुम्हारे पास है तुम्हारा बेटा हमारा तो फ़ौज में चला गया किसको पता जियेगा की मरेगा.
दोस्तों हम साड़ी जिन्दी इसको अच्छा उसको बुरा कहते निकाल देते हैं और खुद ही नहीं समझ पते की हमारे लिए क्या अच्छा है क्या बुरा. आज की हमारी परिस्थिति जिस में हम रह रहे हैं अगर इस उदाहरण को याद रखे तो शायद थोडा सा हमारा जीवन भी आसान जायेगा .
मुनि श्री क्षमा सागर जी
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समता भाव
एक गाँव में एक बूढ़ा रहता था उसके पास एक बेटा था और एक घोढ़ा था, छोटा सा गाँव था तो सब एक दुसरे के घरों में क्या हो रहा है बड़ा ध्यान रखते थे . एक दिन बूढ़े का घोडा भाग गया तो गाँव वाले दौड़े -दौड़े उसके पास हमदर्दी दिखाने आए बोले अरे बूढ़े भाई ये तो बहुत बुरा हुआ वैसे भी तुम्हारा अपना कहने को एक बेटा और एक घोढ़ा ही था और अब तो वो भी भाग गया, तो भूदे बाबा ने बड़ी शालीनता से कहा की अब इसमें क्या अच्छा और क्या बुरा बस इतने ही कहो कल तक घोडा था आज नहीं है. लोगों ने सोचा की घोड़े के चले जाने के कारन बाबा का दिमाग शायद………….. आप समझ गए क्यूंकि अगर कोई इस तरह की बात करने लगता है अपने जीवन को अच्छा बनाने की कोशिश करता है तो हम उसे पागल ही तो समझते है और पता है कुछ दिन बाद वो घोडा वापस लौट आता है और इतना ही नहीं ५-१० घोड़े और साथ में लेकर आत्ता है अब अब फिर सब उसके पास आ गए बोले वाह बुद्दे भाई वाह वाह अच्छा हुआ की घोडा भाग गया था देखो अब तो ये इतने घोड़े लाया है की तुम्हारी जिंदगी आराम से गुजरेगी, पर बुद्दे बाबा ने अब भी उतनी ही शालीनता से जबाब दिया की इसमें क्या अच्छा और क्या बुरा बस इतने ही कहो कल तक १ घोडा था आज ५-१० घोड़े और हैं फिर लोगो को लगा की बूढ़ा तो सठिया गया है. फिर कुछ दिन बाद की बात है बुद्धे का बेटा उन नए घोड़े पर बैठ के जा रहा था वो नए घोड़े तो नए ही थे उन्होंने उस बेटे को पटक दिया जिससे उसका पैर टूट गया अब अब फिर लोग जुड़ गए कहने लगे बहुत बुरा हुआ जो ये नए घोड़े आ गए न आते न बेटा उसपे बैठता और न उसका पैर टूटता प् बुड्डा तो अभी भी समता में था कहने लगा की फिर वही अभी भी कुछ मत कहो की अच्छा हुआ की बुरा कल तक तुम्ही कहते थे अच्छा हुआ और आज कहते हो बुरा हुआ बड़ी जल्दी तुम्हारे गडित बदल जाते हैं अब तो लोगो ने सोचा की बुद्दे का दिमाग सच में ख़राब हो गया है उसको कुछ हमारी बात समझ में ही नहीं आती. और फिर कहानी को जितना बढ़ाना चाहो उतनी बढ़ जाएगी कुछ दिन बाद ही जिस देश में बूढ़ा रहता था उस देश पर किसी दुसरे देश ने आक्रमण कर दिया और इस देश के रजा ने ऐलान किया की हर घर से एक बेटे को सेना में भेजना पड़ेगा तो राजा के सेनापति आये और हर घर से एक बेटा ले जाने लगे जब बुद्दे के घर आये तो देखा की उसका तो पैर टुटा है वो तो सेना में जाने लायक है ही नहीं तो छोड़ दिया बाकि सबके बेटों को ले गए अब अब सब फिर आए और कहने लगे की अच्छा हुआ पैर टूट गया तुम्हारे पास है तुम्हारा बेटा हमारा तो फ़ौज में चला गया किसको पता जियेगा की मरेगा.
दोस्तों हम साड़ी जिन्दी इसको अच्छा उसको बुरा कहते निकाल देते हैं और खुद ही नहीं समझ पते की हमारे लिए क्या अच्छा है क्या बुरा. आज की हमारी परिस्थिति जिस में हम रह रहे हैं अगर इस उदाहरण को याद रखे तो शायद थोडा सा हमारा जीवन भी आसान जायेगा .
मुनि श्री क्षमा सागर जी