वीरांतराय कर्म के क्षयोपशम से भूख लगेगी,
लाभान्तराय कर्म के क्षयोपशम से भोजन मिलेगा,
पर भोगांतराय कर्म का क्षयोपशम नहीं तो भोजन को भोग नहीं पाओगे ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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अन्तराय–त्यागी,व़ती और साधुओं के आहार में नख,केश, चींटी आदि किसी कारण से बाधा उत्पन्न हो जाना अंतराय हैं। अतः यह सब कर्मों के अनुसार होते हैं जिसमें वीरांतराय,लाभान्तराय और भोगांतराय कर्म से अंतराय होता है। अतः जो उदाहरण दिया है वह पूर्ण सत्य है।
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अन्तराय–त्यागी,व़ती और साधुओं के आहार में नख,केश, चींटी आदि किसी कारण से बाधा उत्पन्न हो जाना अंतराय हैं। अतः यह सब कर्मों के अनुसार होते हैं जिसमें वीरांतराय,लाभान्तराय और भोगांतराय कर्म से अंतराय होता है। अतः जो उदाहरण दिया है वह पूर्ण सत्य है।